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"दिन बसन्त के / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर
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राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के | राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के | ||
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आए हो हिम के दिन बीतते | आए हो हिम के दिन बीतते | ||
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दिन बसन्त के | दिन बसन्त के | ||
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पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर | पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर | ||
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नई कोंपलों ने शृंगार किया है जी भर | नई कोंपलों ने शृंगार किया है जी भर | ||
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फूल चन्द्रमा का झुक आया है धरती पर | फूल चन्द्रमा का झुक आया है धरती पर | ||
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अभी-अभी देखा मैंने वन को हर्ष भर | अभी-अभी देखा मैंने वन को हर्ष भर | ||
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कलियाँ लेते फलते, फूलते | कलियाँ लेते फलते, फूलते | ||
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झुक-झुककर लहरों पर झूमते | झुक-झुककर लहरों पर झूमते | ||
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00:32, 20 मार्च 2011 का अवतरण
दिन बसन्त के
राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के
आए हो हिम के दिन बीतते
दिन बसन्त के
पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर
नई कोंपलों ने शृंगार किया है जी भर
फूल चन्द्रमा का झुक आया है धरती पर
अभी-अभी देखा मैंने वन को हर्ष भर
कलियाँ लेते फलते, फूलते
झुक-झुककर लहरों पर झूमते
आए हो हिम के दिन बीतते
दिन बसन्त के