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"दिया भी याद का इसमें जला के रक्खा है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[Category:गज़ल]]
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− | <poem>
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− | दिया भी याद का इसमें जला के रक्खा है
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− | दिल एक प्यार का मंदिर बना के रक्खा है
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− | कभी तो हँस के, कभी तिलमिला के भी हमने
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− | क़दम को उनके क़दम से मिलाके रक्खा है
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− | जहाँ किसीकी नज़र भी नहीं लगे उस पर
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− | तुम्हारे प्यार को ऐसे छिपाके रक्खा है
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− | ये सच है, सुर में सभी के मिलाया सुर हमने
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− | मगर सितार भी मन का बचाके रक्खा है
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− | न राह देखती आशा का दम ही घुट जाये
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− | कहीं पे दिल में झरोखा बनाके रक्खा है
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− | ज़हर को पीके भी होठों से बाँसुरी फूँकी
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− | अँगूठा साँप के फन पर दबाके रक्खा है
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− | जहाँ भी हमको मिली राह कोई जानी हुई
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− | वहीं से पाँव को तिरछा हटाके रक्खा है
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− | कोई तो ऐसा भी होगा जो फिर से देगा छेड़
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− | जहाँ से साज़ को हमने बजाके रक्खा है!
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− | कहो ये उनसे, तड़पते बहुत गुलाब हैं आज
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− | उन्हें बहार ने काँटों पे लाके रक्खा है
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02:02, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण