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"दिल ए आदम को वहशत है ज़मीं से / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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दिल ए आदम को वहशत है ज़मीं से  
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दिल ए आदम को वहशत है ज़मीं से |
हवा आई कोई ख़ुल्द ए बरीं से  
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हवा आई कोई ख़ुल्द ए बरीं से |
जो निकली थी दिल ए अन्दोहगीं से
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जली बिजली उस आह ए आतिशीं से  
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जो निकली थी दिल ए अन्दोहगीं से |
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जली बिजली उस आह ए आतिशीं से |
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हुई तैयारियाँ दार ओ रसन की  
 
हुई तैयारियाँ दार ओ रसन की  
अनालहक़ की सदा आई कहीं से  
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अनालहक़ की सदा आई कहीं से |
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जहां से क़हक़हे उठे थे शायद  
 
जहां से क़हक़हे उठे थे शायद  
मेरे आँसू भी आए हैं वहीँ से  
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मेरे आँसू भी आए हैं वहीँ से |
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चली दुनिया में रस्म ए सजदारेज़ी
 
चली दुनिया में रस्म ए सजदारेज़ी
कुछ उनके दर से कुछ मेरी जबीं से  
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कुछ उनके दर से कुछ मेरी जबीं से |
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यकीं के पाँव में लग़ज़ीश न आए  
 
यकीं के पाँव में लग़ज़ीश न आए  
बदल जाती हैं तक़दीरें यकीं से  
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बदल जाती हैं तक़दीरें यकीं से |
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मुहब्बत की " ज़िया " सरशारियाँ हैं  
 
मुहब्बत की " ज़िया " सरशारियाँ हैं  
नहीं मुझ को ग़रज़ दुनिया ओ दीं से
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नहीं मुझ को ग़रज़ दुनिया ओ दीं से |
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12:13, 11 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

दिल ए आदम को वहशत है ज़मीं से |
हवा आई कोई ख़ुल्द ए बरीं से |

जो निकली थी दिल ए अन्दोहगीं से |
जली बिजली उस आह ए आतिशीं से |

हुई तैयारियाँ दार ओ रसन की
अनालहक़ की सदा आई कहीं से |
 
जहां से क़हक़हे उठे थे शायद
मेरे आँसू भी आए हैं वहीँ से |
 
चली दुनिया में रस्म ए सजदारेज़ी
कुछ उनके दर से कुछ मेरी जबीं से |
 
यकीं के पाँव में लग़ज़ीश न आए
बदल जाती हैं तक़दीरें यकीं से |

मुहब्बत की " ज़िया " सरशारियाँ हैं
नहीं मुझ को ग़रज़ दुनिया ओ दीं से |