भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल तो हमने ही लगाया है, आप चुप क्यों हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
आपका नाम भी आया है, आप चुप क्यों हैं!
 
आपका नाम भी आया है, आप चुप क्यों हैं!
  
हम अगर कुछ नहीं कहते तो कोई बात नहीं
+
हम अगर कुछ नहीं कहते तो कोई बात न थी
 
प्यार आँखों ने जताया है, आप चुप क्यों हैं!
 
प्यार आँखों ने जताया है, आप चुप क्यों हैं!
  

02:02, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


दिल तो हमने ही लगाया है, आप चुप क्यों हैं!
दाँव यह हमने गँवाया है, आप चुप क्यों हैं!

लोग क्या-क्या नहीं कहते हैं, हमें दुनिया में
आपका नाम भी आया है, आप चुप क्यों हैं!

हम अगर कुछ नहीं कहते तो कोई बात न थी
प्यार आँखों ने जताया है, आप चुप क्यों हैं!

यह तो कहिये कि नज़र क्यों है खोयी-खोयी हुई!
भेद क्या हमसे छिपाया है, आप चुप क्यों हैं!

ऐसे गुमसुम नहीं हमने कभी देखे थे गुलाब
मुँह भी दुनिया ने फिराया है, आप चुप क्यों हैं!