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"दिल पर हमारे ज़ख़्म हैं ये सब नये नये / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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अब लोगों को कौन बताए क्या सच है
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दिल पर हमारे ज़ख़्म हैं ये सब नये नये
सब की आंखों के आगे धुंधला सच है
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तरकश में रोज़ तीर हैं साहब नये नये
  
कोई भी तैयार नहीं है पीने को
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हमने तो सब के सामने रख दी है अपनी बात
वक़्त के हाथों में इतना कड़वा सच है
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दिन भर निकाले जायेंगे मतलब नये नये
  
जेसै भी हो हज़्म तुझे करना होगा
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हमने भी ख़ूब ज़ख़्म सहे दुख उठाये हैं
मेरे बेटे ये तेरा पहला सच है
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ज़ालिम की ज़द में आए थे हम जब नये नये
  
अपनी आंखें धोका भी खा सकती हैं
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हमको भी कुछ सिखाईये आदाब इश्क़ के  
झूट ने सर से पावं तलक पहना सच है
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हम भी हुए हैं दाख़िल ए मकतब नये नये
 
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हाथ क़लम होने के बाद में सोचेंगे
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यार अभी जो लिखना है लिखना सच है
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झूट लिखेंगे हम तो क़लम की है तौहीन
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हम को अपनी ग़ज़लों में लिखना सच है
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पहले तो होगा दोस्तों का इंतज़ाम
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सपने दिखाए जायेंगे फिर सब नये नये
  
 
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05:14, 18 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

दिल पर हमारे ज़ख़्म हैं ये सब नये नये
तरकश में रोज़ तीर हैं साहब नये नये

हमने तो सब के सामने रख दी है अपनी बात
दिन भर निकाले जायेंगे मतलब नये नये

हमने भी ख़ूब ज़ख़्म सहे दुख उठाये हैं
ज़ालिम की ज़द में आए थे हम जब नये नये

हमको भी कुछ सिखाईये आदाब इश्क़ के
हम भी हुए हैं दाख़िल ए मकतब नये नये

पहले तो होगा दोस्तों का इंतज़ाम
सपने दिखाए जायेंगे फिर सब नये नये