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"दिल वालों की बस्ती है / देवमणि पांडेय" के अवतरणों में अंतर
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दिल वालों की बस्ती है | दिल वालों की बस्ती है | ||
यहाँ मौज और मस्ती है। | यहाँ मौज और मस्ती है। |
22:32, 9 जून 2010 के समय का अवतरण
दिल वालों की बस्ती है
यहाँ मौज और मस्ती है।
पत्थर दिल है ये दुनिया
मज़बूरों पर हँसती है।
ख़ुशियों की इक झलक मिले
सबकी रूह तरसती है।
क्यों ना दरिया पार करें
हिम्मत की जब कश्ती है।
हर इक इन्सां के दिल में
अरमानों की बस्ती है।
महंगी है हर चीज़, मियाँ
मौत यहाँ पर सस्ती है।
उससे आँख मिलाएँ,वो
सुना है ऊँची हस्ती है।