भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=लावण्या शाह
}} {{Template:KKAnthologyDiwali}}दीप शिखा की लौ कहती है, व्यथा कथा हर घर रहती है,<br>
कभी छिपी तो कभी मुखर बन, अश्रु हास बन बन बहती है <br>
हाँ व्यथा सखी, हर घर रहती है ..<br>