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दीवारें कब गवाही देंगी? / असंगघोष

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दीवारों के भी कान होते हैं
यह सुनता रहा मैं
बचपन से
ऐसे ही जैसे सुनते रहे
हमारे पुरखे
कि दीवारें हमारी बातें भी
बड़े जतन से सुनती ही हैं
वे हमारी बातें
तो किसी ना किसी से
कहती भी होंगी?

क्या दीवारें गूँगी भी होती हैं?
यदि नहीं होतीं गूंगी
तो जब वे चश्मदीद गवाह रही हैं
हमारे उत्पीड़न की
जो कुछ देखा-सुना
उसे सबके समने कमबख्त
बोलतीं क्यों नहीं?
क्यों नहीं देतीं गवाही
तेरे खिलाफ
क्या इन दीवारों को भी
तूने बाँध दिा है
अपने किसी मंत्र,
श्लोक, धर्मग्रंथ या बंधनसूत्र में?