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"दीवाली पर पिया / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर

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दीवाली पर पिया,
 
दीवाली पर पिया,
चौमुख दरवाजे पर बालूँगी मैं दिया।
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चौमुख दरवाज़े पर बालूँगी मैं दिया ।
                   ओ पिया।
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उभरेंगे ऑंखों में सपनों के इंद्रधनुष,
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उभरेंगे आँखों में सपनों के इंद्रधनुष,
 
होठों पर सोनजुही सुबह मुस्कराएगी,
 
होठों पर सोनजुही सुबह मुस्कराएगी,
माथे पर खिंच जाऍंगी भोली सलवटें
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माथे पर खिंच जाएँगी भोली सलवटें
अगवारे पिछवारे फसल महमहाएगी
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अगवारे पिछवारे फ़सल महमहाएगी
  
हेर हेर फूलों की पॉंखुरी जुटाऊँगी,
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हेर-हेर फूलों की पाँखुरी जुटाऊँगी,
ऑंगन-चौबारे छितराऊँगी मैं पिया।
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आँगन-चौबारे छितराऊँगी मैं पिया ।
                   ओ पिया।
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माखन मिसरी बातें शोख मावसी रातें,
 
माखन मिसरी बातें शोख मावसी रातें,
 
अल्हड़ सौगंधों की नेह-सनी सौगातें,
 
अल्हड़ सौगंधों की नेह-सनी सौगातें,
फिर होंगे हरे भरे दिन रंगत नई नई
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फिर होंगे हरे-भरे दिन रंगत नई-नई
ताजा होंगी फिर फिर सावनी मुलाकातें
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ताज़ा होंगी फिर-फिर सावनी मुलाक़ातें
  
पास बैठ कर मन की गॉंठें सुलझाऊँगी,
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पास बैठ कर मन की गाँठें सुलझाऊँगी,
सिरहाने गीत बन रिझाऊँगी मैं जिया।
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सिरहाने गीत बन रिझाऊँगी मैं जिया ।
                   ओ पिया।
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आना जी, मावस को सॉंझ ढले आना
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आना जी, मावस को साँझ ढले आना
 
दूर यों अकेले में दिल मत बहलाना,
 
दूर यों अकेले में दिल मत बहलाना,
 
साथ दीप बालेंगे सुनेंगे हवाओं में......
 
साथ दीप बालेंगे सुनेंगे हवाओं में......
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मन से मन जोड़ूँगी, हर संयम तोडूँगी
 
मन से मन जोड़ूँगी, हर संयम तोडूँगी
सुख दुख से जुड़ कर सहलाऊँगी मैं हिया।
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सुख-दुख से जुड़ कर सहलाऊँगी मैं हिया ।
                     ओ पिया।
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                     ओ पिया ।
 
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11:53, 21 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

दीवाली पर पिया,
चौमुख दरवाज़े पर बालूँगी मैं दिया ।
                  ओ पिया ।

उभरेंगे आँखों में सपनों के इंद्रधनुष,
होठों पर सोनजुही सुबह मुस्कराएगी,
माथे पर खिंच जाएँगी भोली सलवटें
अगवारे पिछवारे फ़सल महमहाएगी

हेर-हेर फूलों की पाँखुरी जुटाऊँगी,
आँगन-चौबारे छितराऊँगी मैं पिया ।
                   ओ पिया ।

माखन मिसरी बातें शोख मावसी रातें,
अल्हड़ सौगंधों की नेह-सनी सौगातें,
फिर होंगे हरे-भरे दिन रंगत नई-नई
ताज़ा होंगी फिर-फिर सावनी मुलाक़ातें

पास बैठ कर मन की गाँठें सुलझाऊँगी,
सिरहाने गीत बन रिझाऊँगी मैं जिया ।
                   ओ पिया ।

आना जी, मावस को साँझ ढले आना
दूर यों अकेले में दिल मत बहलाना,
साथ दीप बालेंगे सुनेंगे हवाओं में......
खुशमिजाज़ चिड़ियों का बस स्वर थहराना

मन से मन जोड़ूँगी, हर संयम तोडूँगी
सुख-दुख से जुड़ कर सहलाऊँगी मैं हिया ।
                    ओ पिया ।