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"दुःख में तपकर / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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यह शीतलता---
 
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जला नहीं पाती।</poem>
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जला नहीं पाती।
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13:37, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वह
अशोक वाटिका में रही
पर अ-शोक न भई

कि दुःख में तपकर ही
होती है अर्जित
यह शीतलता---
कोई अग्नि जिसे
जला नहीं पाती।