भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुर्भाग्य पर एक मध्यमवर्गीय सोच / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आप शापिंग की लिस्ट बनावें
रिक्शा करें या स्कूटर
विज्ञापन टटोलें
कर्म में भरोसा रखें
धर्म में विश्वास छोड़ें नहीं
आप सोचें
आपकी फितरत में है सोचना
आनुवंशिक संक्रमण की तरह
और यही है आपकी सेहत का राज़ भी

आप सोचते हैं सौरमंडल के बारे में
गिलहरी और कछुवे के बारे में
मोक्ष के बारे में आप सोचते हैं
क्योंकि आप सोच सकते हैं
सोचना एक सनातन कला है
एक वर्ग की जो सोच सकता है-
दुर्भाग्य को निहत्था करने के उपाय
जो कतर सकता है दुर्भाग्य के पर
जो पलट सकता है दुर्भाग्य की बाजी

क्योंकि सवाल से पहले
आपने दुरुस्त रखे हैं जवाब

दुनिया आपकी नहीं माने
तो आप बदल दें दुनिया!