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"देखता है सपना / अर्चना भैंसारे" के अवतरणों में अंतर

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15:57, 3 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

सपने में बुलाती है माँ और दौड़ पड़ता है
हिरण-शावक-सा कुलाँचे भरता
पिता से ज़िद करता है
हाट घूमने की ।

और चल देता है आगे-आगे मटकता
सपने में चूमता है पत्‍नी का माथा
काँपते होठों से भरता है बाँहों में
ठण्डी साँसों के साथ
खिलाता है बेटी को जी-भर
करता है लाड़
गोद में उठा
सपने में ही बटोरता है ख़ुशियाँ
सहेजता है सपने में सपना
हर बार युद्ध की घोषणा होने से पहले

वह देखता है सपना
घर में दाख़िल होने का ।