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देश हमारा सबसे सुंदर / मधुसूदन साहा

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देश हमारा सबसे सुंदर,
मृदु-सपनों का मीठा-सा घर।

जहाँ जन्म ले भू पर आया,
जिसने दी यह सुंदर काया,
जिसकी माटी में प्राणों का
हर क्षण सुखमय सम्बल पाया,
वही हमारे हर सुख-दुख का
सदा रहा है सच्चा सहचर।

जिसकी हवा हमेशा बहती,
गरमी-सरदी सब कुछ सहती,
प्राणवायु साँसों में भरकर
नित आगे बढ़ने को कहती,
तूफानों में रुके नहीं जो,
वही बदलता रोज मुकद्दर।

जिसने इसे सँवारा जी भर,
जिसने इसे निखारा जी भर,
जिसने स्वयं गँवाकर सब कुछ
इसको दिया सहारा जी भर,
वही देश का सही सिपाही,
जिसने इसे बचाया मिटकर।