भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दे गया कौन जाने मुझको ख़बर / रविंदर कुमार सोनी
Kavita Kosh से
Ravinder Kumar Soni (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
दे गया कौन जाने मुझको ख़बर
रात आती है साथ ले के सहर
दिल मिरा मुज़्तरिब है तेरे बग़ैर
आके तू देख लेता एक नज़र
मेरे दामन की मैल धुल जाती
अश्क ए खूं गिरता आँख से बह कर
जो हक़ीक़त को ख़्वाब कहते हैं
लोग कहते हैं उनको अहल ए नज़र
छोड़ कर मुझ को दरमियान ए दश्त
क़ाफ़िला वक़्त का चला है किधर
दिल में जो दाग़ थे जुदाई के
हैं वही आसमाँ पे शम्स ओ क़मर
दश्त ओ गुलशन में क्या भटकती है
वो हवा जो चली थी हो के निडर
ऐ रवि दल की धडकनें हैं तेज़
कोई अब आसमाँ से कह दे ठहर