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"दो शेर-एक मक़्ता / फ़ानी बदायूनी" के अवतरणों में अंतर

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आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।
 
आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।
  
वह भि चाहा किये मगर न हुई॥
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वह भी चाहा किये मगर न हुई॥

16:40, 7 जुलाई 2009 का अवतरण

तर्के-तदबीर को भी देख लिया।

यह भी तदबीर कारगर न हुई॥


यूँ मिली हर निगाह से वो निगाह।

एक की एक को ख़बर न हुई॥


आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।

वह भी चाहा किये मगर न हुई॥