भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<span class="mantra_translation">
कहीं मूल कारण काल को कहीं प्रवृति को कारण कहा,<br>
कहीं कर्म कारण तो कहीं, भवितव्य को माना महा,<br>
पाँचों महाभूतों को कारण, तो कहीं जीवात्मा,<br>
पर मूल कारण और कुछ, जिसे जानता परमात्मा। [ २ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
वेदज्ञों ने तब ध्यान योग से ब्रह्म का चिंतन किया,<br>
उस आत्म भू अखिलेश ब्रह्म को, जाना जब मंथन किया।<br>
परब्रह्म त्रिगुणात्मक लगे, पर सत्व, रज, तम से परे,<br>
संपूर्ण कारण तत्वों पर, एकमेव ही शासन करे। [ ३ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यह विश्व रूप है चक्र उसका , एक नेमि केन्द्र है,<br>
सोलह सिरों व् तीन घेरों, पचास अरों में विकेन्द्र है।<br>
छः अष्टको बहु रूपमय और त्रिगुण आवृत प्रकृति है,<br>
इस विश्व चक्र में सम अरों, अंतःकरण की प्रवृति है। [ ४ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>
<span class="mantra_translation">
यदि विश्व रूप नदी का है, तो स्रोत पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ ,<br>
दुर्गम गति व् प्रवाह अथ, पुनि जन्म मृत्यु की उर्मियाँ। <br>
ज़रा, जन्म, मृत्यु, गर्भ, रोग, के दुःख जीवन विकट है,<br>
अज्ञान, मद, तम, राग, द्वेष ये क्लेश पञ्च विधि प्रकट हैं। [ ५ ]<br><br>
</span>