भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरती घूमै कै नीं घूमै / पवन शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 9 जून 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरती घूमै कै नीं घूमै
म्हानै नीं जाण
घूमती होसी कीं री ताण
घूूमता दीसै
दरखत, घर-मकान
चालती रेलगाडी सूं
टाबर नै।
घूमै ऊंट
घरट रै च्यारूमेर
खळै मांय
घूमै टोडियो
लारै-लारै
सिखर-दौपारै
घूमै टांटिया
मो-माख्यां लारै
घूमै चाक
कुम्भकार रै हाथां
घूमै लालड़ी माटी
करती बातां
घूमै चाकी रो पाट
झांझरकै
मा जद चाकी झोवै
च्यार सेर पीसै
जणा सूरजी नै चेतो होवै
घूमै बोदिया रहट
कुअै ऊपर
घूमै ऊपर
घूमै रिक्शै रो टायर
जद मंजनूं रिक्शो चलावै
आपरी गिरस्थी री
गाडी गुड़कावै
सवारयां ढोवतां-ढोवतां
घूमग्या बीं रा पग
धरती घूमै कै नीं घूमै
म्हानै नीं जाण
घूमै हिण्डौ बदरू रै पाण
घूमै बादो
बदरू री जोड़ायत
पींपटी बजावै
घूमज्या च्यारूमेर
टाबर-टोळ
कीं नै फिरकी, कीं नीं अळगोजो
कीं नै देवै ढोल
कड़तू माथै
माऊ साथै
घूमै बदरू रो झाबरियो
मेळै मांय लियां झुणझुणियों
घूमै काबरियौ
घूमगी मांगूड़ी री आंख्यां
गंजियै रै बापू री उडीक मांय
घूमै गुवाळियौ रेवड़ सागै लाय मांय
घूमै चरक चूंडी
टींगर नीं लेवण देवै औसाण
धरती घूमै कै नीं घूमै
म्हानै नीं जाण
घूमै चरखै रो ताण
घूमै ऊंट
घूमै सांड
घूमै चाक
घूमै चाकी रो पाट
घूमै रिक्षै रो टायर
घूमगी मजनूं री टांग्यां
घूमगी मांगूडी री आंख्यां
धरती घूमै कै नीं घूमै
म्हानै नीं जाण
घूमती होसी कीं री ताण।