भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धावक / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 8 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश अग्रवाल |संग्रह=नए घर में प्रवेश / नरेश अग्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ धावक दौड़ रहे हैं
हर बार पहले से तेज
उनमें से एक धावक
हमेशा पिछड़ जाता,
किसी तरह कोशिश करता
सबके साथ चले
लेकिन शरीर से मजबूर ।
पीछे कोच खड़ा है
हर बार हौसला बढ़ता हुआ
लेकिन जिसमें रस नहीं,
उससे रस कैसे निकाले
वह पिछड़ा हुआ धावक
सबसे अलग लगता है
लेकिन पीछा कर रहा है
इसका मतलब है,
वह हारा नहीं है अब तक
पूरी तरह शामिल है दौड़ में
हो सकता है, कल दिखाई दे
सबसे आगे
और बाकी धावक इसके पीछे ।