भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धीरे-धीरे हम / केदारनाथ सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 25 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धीरे-धीरे पत्ती
धीरे-धीरे फूल
धीरे-धीरे ईश्वर
धीरे-धीरे धूल

धीरे-धीरे लोग
धीरे-धीरे बाग
धीरे-धीरे भूसी
धीरे-धीरे आग

धीरे-धीरे मैं
धीरे-धीरे तुम
धीरे-धीरे वे
धीरे-धीरे हम