भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धूप कोठरी के आईने में खड़ी / शमशेर बहादुर सिंह

Kavita Kosh से
Hemendrakumarrai (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 20:43, 3 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः शमशेर बहादुर सिंह Category:कविताएँ Category:शमशेर बहादुर सिंह ~...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकारः शमशेर बहादुर सिंह

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

धूप कोठरी के आईने में खड़ी
हँस रही है

पारदर्शी धूप के पर्दे
मुस्कराते
मौन आँगन में

मोम सा पीला
बहुत कोमल नभ

एक मधुमक्खी हिलाकर फूल को
बहुत नन्हा फूल
उड़ गई

आज बचपन का
उदास मा का मुख
याद आता है।