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नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का / ग़ालिब

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नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का

कावे-कावे सख़्तजानी हाय तन्हाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का

जज़्बा-ए-बेइख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिये
सीना-ए-शम्शीर से बाहर है दम शम्शीर का

आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाये
मुद्दा अन्क़ा है अपने आलम-ए-तक़रीर का

बस के हूँ "ग़ालिब" असीरी में भी आतिश ज़र-ए-प
मू-ए-आतिशदीदा है हल्क़ा मेरी ज़ंजीर का