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"नक्शा मीटिंग और सलाम / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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मिलकर करते बंदरबाँट  
 
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देश हो रहा बारहबाँट  
 
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लोकतंत्र  के  
 
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नक्शा मीटिंग और सलाम  
 
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बस्ती बस्ती जंगलराज  
 
बस्ती बस्ती जंगलराज  
 
हर टहनी पर बैठे बाज  
 
हर टहनी पर बैठे बाज  

22:47, 13 मार्च 2012 के समय का अवतरण

नक्शा मीटिंग और सलाम

नोन तेल लकड़ी के दाम
कुर्सी के मुँह लगी हराम
बहती गंगा हाथ धो रहे
साहब , बीबी और गुलाम

बड़े निराले जिनके ठाठ
मिलकर करते बंदरबाँट
अपनी अपनी फिकर सभी को
देश हो रहा बारहबाँट
लोकतंत्र के
जादू टोने
नक्शा मीटिंग और सलाम

बस्ती बस्ती जंगलराज
हर टहनी पर बैठे बाज
राजमहल
गा रहा तराने
सिर पर रख सोने का ताज
कठपुतलियाँ
सम्हाले बैठीं
चाबुक, कुंजी और लगाम।