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नमक / असंगघोष

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मेरी दाल और
प्याज को
तूने बना दिया है
अपनी डायनिंग टेबिल पर
शोभायमान वस्तु !

पुहाड़िया<ref>एक जंगली पौधा जिसके बीजों का इस्तेमाल पशु आहार बनाने में किया जाता है।</ref> बीजों के बदले
मैं लेता रहा हूँ
नमक !
साप्ताहिक हाट-बाजार में
उन पुहाड़ियों को
जिन्हें बीनता हूँ
चुन-चुन कर
अपने शरीर का नमक
बहाता हुआ
क्वाँर की धूप में
जगंल में,
हार में,
सड़क के किनारे
तुम्हारे फैलाए झाड़े<ref>मानव मल</ref> से बचते-बचाते
इसकी शुद्धता का भी
पूरा ख़याल रखता हूँ
बीनते हुए ।

इसी नमक की खातिर !
अपनी नीयत में
अकूत खोट लाते हुए
तुम समुद्र को बाँधते हो
और
मेरे नमक पर
पहरे बैठा कर
काँटी मारते जा रहे हो,
ताकि भरते रहो
अपनी सात तालों की तिजोरियाँ

तुमने ही
नमक को महँगा कर
आसमान में चढ़ा दिया है
ताकि उसे नही ले पाएँ हम
पुहाड़ियों के बदले
और करते रहें तुम्हारी बेगार।

शब्दार्थ
<references/>