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नवयुग / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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नवयुग (कविता अंश)

रहता हाथ जोड़ जो,
उसे गर्व दो तुम।
मनुष्य हो कर रहने का,
उसे गर्व दो तुम।
सिर ऊंचा कर चलने का ।
ईश्वर की दुनिया में भेद न होवे कोई।
रहे स्वर्ग में सभी,
नरक दुख सहे न कोई ।
(नव युग कविता का अंश)