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"नशे में प्यार के लिखते रहे हैं कविता हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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चली ये कैसी हवायें, उदास है हर फूल! | चली ये कैसी हवायें, उदास है हर फूल! |
01:39, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
नशे में प्यार के लिखते रहे हैं कविता हम
पता नहीं कि उन्हें कह गये हैं क्या-क्या हम
उन्हींसे हो गयी रंगीन ज़िन्दगी भी मगर
भले ही आपसे खाया किये हैं धोखा हम
बहुत है शोर ज़माने में आपका, लेकिन
कभी तो देख लें सूरत उठा के परदा हम
'जगह कहीं पे हमारी भी दिल में है कि नहीं?
सवाल आज उन्हींसे करेंगे सीधा हम
चली ये कैसी हवायें, उदास है हर फूल!
नहीं गुलाब में पाते हैं रंग पहला हम