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Here's friendship for you if you like; but love,-
No, thank you, John.
 
'''पढ़िए, इसी कविता का एक और अनुवाद'''
 
सुनो जॉन!
मैने तो कभी नहीं कहा जॉन कि तुमसे प्यार है मुझे,
तो फिर क्यों करोगे तुम मुझे रोज़ ही परेशान,
और चाहोगे कि मैं डूबी रहूँ तुम्हारे ही ख्याल में,
बस जपूँ माला तुम्हारी और लगाऊँ तुम्हारा ही ध्यान !
 
सुनो जॉन तुम जानते हो न कि मैंने नहीं चाहा तुम्हें कभी,
तुम्हारी किसी भी गलतफ़हमी के लिए मैं नहीं ज़िम्मेदार,
फिर क्यों तुम मण्डराओगे अजीबोगरीब चेहरा अपना लेकर,
जैसे हो जाए किसी भूत से ही मुलाक़ात,
 
यकीन मानना, हर कोई खाएगा तुम पर तरस,
अगर तुम उनसे भी यह पूछोंगे जॉन,
और भगवान के लिए मेरे इन्तज़ार में न रहना तुम अकेले,
क्योंकि मैं तो बिलकुल भी यह नहीं करूँगी जॉन।
 
क्या मेरे दिल नहीं हैं? शायद नहीं ही है;
फिर तुम क्यों हो झल्लाए और गुस्साए जॉन,
जब मेरे पास वो है ही नहीं, जो तुमने माँगा है:
तो, थोड़ा दिमाग तो लगाया होता तुमने जॉन !
 
चलो जो हुआ उसे जाने दो:
न ठहराओ मुझे झूठा, मैं दिल से सच का देती हूँ साथ,
तुम्हें हाँ कहने के बजाय
मैं मना करूंगी पचासों जॉन को !
चलो मान न लें कि बीत गए गए हमारे वे बसन्ती दिन
कोयल की कूक और हमारे यौवन के दिन,
आज की सोचो और भूल जाना कल क्या हुआ था;
बिसरा दूँगी मैं भी तुम्हारी बेईमानी के दिन।
 
चलो न हाथ मिलाकर बन जाते हैं अच्छे दोस्त हम,
न कम, न ज़्यादा, बस महज अच्छी दोस्ती के पल,
बस न सोचना दिल में किसी अनचीन्हे अन्त के बारे में,
और उलझे हुए बिन्दुओं के जाल की फिसलन के बारे में।
 
रिश्तों के खुले मैदान में, आगे बढ़ो,
उतार चढ़ाव से दिल को थामे रहो,
तुम्हारे लिए दोस्ती इस दिल में बहुत है जॉन,
मगर प्यार—
प्यार नहीं, जॉन, बिलकुल ही नहीं !
शुक्रिया जॉन!
</poem>
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