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"नहीं है यह मानव की हार / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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नहीं है यह मानव का हार
 
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नहीं है दुनिया में वह तत्‍व
 
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कि जिसमें मिल जाए इंसान,
 
कि जिसमें मिल जाए इंसान,
  
 
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पड़ी है इस पृथ्‍वी पर हर कब्र,
:::पड़ी है इस पृथ्‍वी पर हर कब्र,
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चिता की भूभल का हर ढेर,
 
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कड़ी ठोकर का एक निशान
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:::लगा जो वह जाता मुँह फेर।
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19:58, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

नहीं है यह मानव का हार
कि दुनिया यह करता प्रस्‍थान,
नहीं है दुनिया में वह तत्‍व
कि जिसमें मिल जाए इंसान,

पड़ी है इस पृथ्‍वी पर हर कब्र,
चिता की भूभल का हर ढेर,
कड़ी ठोकर का एक निशान
लगा जो वह जाता मुँह फेर।