भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नाम बदला है / मधुकर अस्थाना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुकर अस्थाना |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:09, 28 मई 2019 के समय का अवतरण
रावण वही
नाम बदला है
लिखा-पढ़ा अगला-पिछला है
गली, मुहल्लों, सड़कों
पर आते-जाते वह मिल जाता है
उसके सम्मुख राम-लखन का अधर
अचानक खिल जाता है
पीछे मुड़ते
ही सब कहते
इस पोखर का जल गँदला है
चोर-चोर मौसेरे भाई
खाट खड़ी कर देते सबकी
भीतर ही घुटतीं आवाज़ें मर जातीं
इच्छाएँ मन की
टिनोपाल से
धुला यहाँ पर
हर बगुले का पर उजला है
कमलनाल अब लगीं
कुतरनें भूखी-प्यासी क्रूर मछलियाँ
घिर आतीं नयनों के नभ में बेमौसम
ख़ामोश बदलियाँ
विष्णु छोड़कर
बीस भुजाओं पर
नारद का मन मचला है