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नारी के अपमान पर क्यों हैं चुपचाप / अर्चना कोहली
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नारी के अपमान पर, क्यों रहते चुपचाप।
मर्यादा अब भंग है, करना विरोध आप॥
छोटी-छोटी बात पर, करते कितना शोर।
आसमान सिर पर सदा, मनमानी है घोर॥
घर में होते शेर हैं, तीखे उनके बोल।
बाहर रहते शांत हैं, छिपते अपने खोल॥
मसले जो भी फूल हैं, होगा अब संहार।
तोड़ो अपना मौन अब, करना उनपर वार॥
बनना रक्षक आज है, रखना उसका मान।
गीदड़ बनकर जो छिपा, उसको ले पहचान॥
बेटी है जो देश की, होती क्यों लाचार।
करना मिलकर न्याय है, सुननी है चीत्कार॥