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"नाला ए नारसा नहीं कुछ भी / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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:अब मुझे आसरा नहीं कुछ भी
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:क्या कहूँ हौसला नहीं कुछ भी  
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:हो वफ़ा या जफ़ा मुहब्बत की  
 
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:इब्तदा इन्तेहा नहीं कुछ भी  
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:मैं हूँ किश्ती है मौज ए तूफाँ है  
 
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:साहिल ए नाख़ुदा नहीं कुछ भी
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:गुफ़ता ए अक़ल कुछ तो है वरना  
 
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:कट गई उम्र पा ए साक़ी पर  
 
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:हो मेरी ख़ामुशी पे चींबजबीं  
 
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:आज़माईश अगर वफ़ा की न हो  
 
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:इम्तिहान ए वफ़ा नहीं कुछ भी  
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:मेरी दुनिया में क्यूँ सिवाए अजल  
 
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:वादी ए ग़म में ला के छोड़ दिया  
 
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:ऐ " ज़िया " इन बुतों के इश्क़ में क्यूँ  
 
:ऐ " ज़िया " इन बुतों के इश्क़ में क्यूँ  
: नारवा और रवा नहीं कुछ भी
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07:36, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण

नाला ए नारसा नहीं कुछ भी |
अब मुझे आसरा नहीं कुछ भी |
पूछते हैं वो क्या नहीं कुछ भी |
क्या कहूँ हौसला नहीं कुछ भी |
हो वफ़ा या जफ़ा मुहब्बत की
इब्तदा इन्तेहा नहीं कुछ भी |
मैं हूँ किश्ती है मौज ए तूफाँ है
साहिल ए नाख़ुदा नहीं कुछ भी |
रोज़ करते हैं यूँ जफ़ा मुझ पर
जैसे मेरी वफ़ा नहीं कुछ भी |
गुफ़ता ए अक़ल कुछ तो है वरना
जो जुनूँ ने कहा नहीं कुछ भी |
कट गई उम्र पा ए साक़ी पर
तलखियों का गिला नहीं कुछ भी |
हो मेरी ख़ामुशी पे चींबजबीं
अभी मैंने कहा नहीं कुछ भी |
आज़माईश अगर वफ़ा की न हो
इम्तिहान ए वफ़ा नहीं कुछ भी |
मेरी दुनिया में क्यूँ सिवाए अजल
ज़िन्दगी का सिला नहीं कुछ भी |
वादी ए ग़म में ला के छोड़ दिया
अब खुला, रहनुमा नहीं कुछ भी |
ऐ " ज़िया " इन बुतों के इश्क़ में क्यूँ
नारवा और रवा नहीं कुछ भी |