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ना सखी श्याम हमारे कहे को / शिवदीन राम जोशी
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थाकी गई यसुधा समुझा, हम बरज थकी, सब राम ही जाने |
ओलमू लावत नन्द को नंदन, छेर करे री रह्यो नहीं छाने |
गुवालनी ढीठ वे गारी बकैं, और सास हमारी लगी समुझाने |
श्यामा भी हार गई शिवदीन, यो श्याम हमारो तो, कहनू न माने ||
दिल देख मेरो धरके छतियां, सखी लागी गयो अब जी घबराने |
श्याम न आयो या शाम बही, अब हेरुं कहाँ मिलिहैं न ठिकाने |
शिवदीन यकिन दिलावत मोहि, नये करी हैं नित्त और बहाने |
श्यामा थकी समुझा समुझा,सखी श्याम की श्यामा,यो श्याम न माने ||
मांगत हैं दधि दान वे रोकि के, राह हमारी व बांह गहे को |
झगरो करते न बने हमसों, नितकी नितको दुःख दर्द सहे को |
शिवदीन यकिन करो न करो, रंग कारो है कारो ही श्याम बहे को |
राधिका बोलि उठी झुंझला,अब ना सखी श्याम हमारे कहे को ||