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"निभाई है यहाँ हमने मुहब्बत भी सलीक़े से / सतपाल 'ख़याल'" के अवतरणों में अंतर
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यक़ीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से | यक़ीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से | ||
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सजी हैं महफ़िलें देखो यहाँ कितेने क़रीने से | सजी हैं महफ़िलें देखो यहाँ कितेने क़रीने से | ||
16:53, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
निभाई है यहाँ हमने मुहब्बत भी सलीक़े से
दिए जो रंज़ो-ग़म इसने लगाए हमने सीने से
हमेशा ज़िंदगी जी है यहाँ औरों की शर्तों पर
मिले मौका अगर फिर से जिऊँ अपने तरीके से
न की तदबीर ही कोई , न थी तकदीर कुछ जिनकी
सवालों और ख़यालों मे मिले हैं अब वो उलझे से.
जो टूटे शाख से यारो अभी पत्ते हरे हैं वो
यक़ीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से
घरों से उबकर अब लोग मैख़ाने में आ बैठे
सजी हैं महफ़िलें देखो यहाँ कितेने क़रीने से
"ख़याल" अपनी ही करता है कहाँ वो मेरी सुनता है
नज़र आते हैं उसके तो मुझे तेवर ही बदले से