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निराशा / राजेश जोशी

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|रचनाकार=राजेश जोशी
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<poem>निराशा एक बेलगाम घोड़ी है<br><br>
न हाथ में लगाम होगी न रकाब मे पैर<br>खेल नहीं उस पर गद्दी गाँठना<br>दुलत्ती झाड़ेगी और ज़मीन पर पटक देगी<br>बिगाड़ कर रख देगी सारा चेहरा मोहरा<br><br>
बगल में खड़ी होकर<br>ज़मीन पर अपने खुर बजाएगी<br>धूल के बगुले बनाएगी<br>जैसे कहती हो<br>दम हो तो दुबारा गद्दी गाँठों मुझ पर<br><br>
भागना चाहोगे तो भागने नहीं देगी<br>घसीटते हुए ले जाएगी<br>
और न जाने किन जंगलों में छोड़ आएगी
</poem>
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