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"नीट आँखों से जब पिलाया कर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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नीट आँखों से जब पिलाया कर।
 
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लब का चखना भी कुछ खिलाया कर।
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जान ले लेंगे दो नशे मिल के,
 
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यूँ न पतली कमर हिलाया कर।
 
यूँ न पतली कमर हिलाया कर।
  
इश्क की लत लगाई तूने ही,
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प्यार की लत लगाई है तूने,
 
अब न बेकार तिलमिलाया कर।
 
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12:24, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

नीट आँखों से जब पिलाया कर।
लब का चखना भी तो खिलाया कर।

जान ले लेंगे दो नशे मिल के,
प्यार गाँजे में मत मिलाया कर।

भाँग शरमा के मुँह छिपाती है,
इस कदर भी न खिलखिलाया कर।

जुर्म है बाँटना चरस गोरी,
यूँ न पतली कमर हिलाया कर।

प्यार की लत लगाई है तूने,
अब न बेकार तिलमिलाया कर।