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"नृत्य / हुम्बरतो अकाबल / यादवेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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ग़रीब  आदमियों के
 
ग़रीब  आदमियों के
गरीबी की वजह से
 
 
लड़खड़ाते हैं  क़दम
 
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गरीबी की वजह से
 
और वे औंधे मुँह  
 
और वे औंधे मुँह  
 
गिर पड़ते हैं नीचे...
 
गिर पड़ते हैं नीचे...

01:34, 22 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

हम सब
नाच रहे होते हैं
बिलकुल मंच के किनारे।

ग़रीब आदमियों के
लड़खड़ाते हैं क़दम
गरीबी की वजह से
और वे औंधे मुँह
गिर पड़ते हैं नीचे...

और
बाक़ी बचे लोग
गिरते हैं तो भी
गिरते हैं ऊपरली सीढ़ी पर।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र