"नैतिकता को गिरवी रख दूँ, क्यों सच से समझौता कर लूँ / संदीप ‘सरस’" के अवतरणों में अंतर
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22:17, 27 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
नैतिकता को गिरवी रख दूँ, क्यों सच से समझौता कर लूँ,
युग मुझसे जब प्रश्न करेगा तब बोलो उत्तर क्या दूंगा।
मैं ठहरुँ मंजिल खुद आए ऐसी कोई राह नहीं है।
स्वाभिमान के आगे मुझको सुविधा की परवाह नहीं है ।
अपना जीवन अपने ढंग से जी लूँ मेरा हक बनता है ,
मन के पंछी को सोने के पिंजरे जैसी चाह नहीं है ।।
आदर्शों की बलि क्यों दे दूँ, अपनी क्यों मर्यादा छोड़ूँ,
जग मुझसे जब प्रश्न करेगा तब बोलो उत्तर क्या दूंगा ।।1।।
मेरे सब अरमान छीन लो मैं अपना ईमान न दूँगा।
मेरे सब अधिकार छीन लो मैं अपना सम्मान न दूँगा।
जैसा भी हूँ जितना भी हूँ खुश हूँ उतना ही रहने दो ,
मेरे सब अधिकार छीन लो मैं अपनी पहचान दूँगा।।
राजद्वार से नाता जोडूँ क्यों प्रतिभा पर वैभव थोपूँ,
मन मुझसे जब प्रश्न करेगा तब बोलो उत्तर क्या दूँगा।।2।।