भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नै बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा हूँ / सौदा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सौदा }} category: ग़ज़ल <poem> नै1 बुलबुले-चमन न गुले-नौदम...)
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
  
 
<poem>
 
<poem>
नै1 बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीद2 हूँ
+
नै1 बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा2 हूँ
 
मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा3 हूँ
 
मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा3 हूँ
  

06:58, 11 फ़रवरी 2009 का अवतरण

नै1 बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा2 हूँ
मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा3 हूँ

गिरियाँ न शक्ले-शीशा व ख़ंदा न तर्ज़े-जाम4
इस मैकदे के बीच अबस5 आफ़रीदा6 हूँ

तू आपसे7 ज़बाँज़दे-आलम8 है वरना मैं
इक हर्फ़े-आरज़ू9 सो ब-लब10 नारसीदा11 हूँ

कोई जो पूछता हो ये किस पर है दादख़्वाह12
जूँ-गुल हज़ार जा से गरेबाँ-दरीदा हूँ13

तेग़े-निगाहे-चश्म14 का तेरे नहीं हरीफ़15
ज़ालिम, मैं क़तर-ए-मिज़ए-ख़ूँचकीदा16 हूँ

मैं क्या कहूँ कि कौन हूँ 'सौदा', बक़ौल दर्द
जो कुछ कि हूँ सो हूँ, ग़रज़ आफ़त-रसीदा17 हूँ

शब्दार्थ:
1. न तो 2. नया खिला फूल 3. टूटी शाख़ 4. न शीशे की तरह से रो रहा हूँ और न जाम की तरह से हँस रहा हूँ 5. व्यर्थ ही 6. लाया गया 7. स्वयं ही 8. दुनिया की ज़बान पर चढ़ा हुआ 9. आरज़ू का शब्द 10. होंटो पर 11. पहुँच से वंचित 12. दाद चाहनेवाला 13. फूल की तरह हज़ार जगह से मेरा गरेबान फटा हुआ है 14. निगाहों की तलवार 15. प्रतिद्वंदी 16. ख़ून रो रही पलकों पर टिका हुआ क़तरा 17.आफ़त में फँसा हुआ