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"न दोष कुछ तेरी कटार का है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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न दोष कुछ तेरी कटार का है।
 
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मुझे ही शौक आर पार का है।
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मुझे ही शौक़ आर-पार का है।
  
 
बिना गुनाह रब के पास गया,
 
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कुसूर ये ही मेरे यार का है।
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क़ुसूर ये ही मेरे यार का है।
  
 
मुझे जहान या ख़ुदा का नहीं,
 
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लिहाज़ है तो तेरे प्यार का है।
 
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करे गुरूर रब की चीज पे क्यूँ,
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तेरा हसीं बदन उधार का है।
 
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लो नौकरों ने देश लूट लिया,
 
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कुसूर मालिकों के प्यार का है।
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क़ुसूर मालिकों के प्यार का है।
 
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10:16, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

न दोष कुछ तेरी कटार का है।
मुझे ही शौक़ आर-पार का है।

बिना गुनाह रब के पास गया,
क़ुसूर ये ही मेरे यार का है।

मुझे जहान या ख़ुदा का नहीं,
लिहाज़ है तो तेरे प्यार का है।

करे ग़ुरूर रब की चीज पे क्यूँ,
तेरा हसीं बदन उधार का है।

लो नौकरों ने देश लूट लिया,
क़ुसूर मालिकों के प्यार का है।