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Kavita Kosh से
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न दोष कुछ तेरी कटार का है।
मुझे ही शौक शौक़ आर -पार का है।
बिना गुनाह रब के पास गया,
मुझे जहान या ख़ुदा का नहीं,
लिहाज़ है तो तेरे प्यार का है।
तेरा हसीं बदन उधार का है।
लो नौकरों ने देश लूट लिया,
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