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न दोष कुछ तेरी कटार का है।
मुझे ही शौक शौक़ आर -पार का है।
बिना गुनाह रब के पास गया,
कुसूर क़ुसूर ये ही मेरे यार का है।
मुझे जहान या ख़ुदा का नहीं,
लिहाज़ है तो तेरे प्यार का है।
करे गुरूर ग़ुरूर रब की चीज पे क्यूँ,
तेरा हसीं बदन उधार का है।
लो नौकरों ने देश लूट लिया,
कुसूर क़ुसूर मालिकों के प्यार का है।
</poem>
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