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"न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मै मालिक" / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। | न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। | ||
बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए, ख़ुदा न बनो॥ | बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए, ख़ुदा न बनो॥ |
00:21, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक।
बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए, ख़ुदा न बनो॥
अगर है जुर्मे-मुहब्बत तो ख़ैर यूँ ही सही।
मगर तुम्हीं कहीं इस जुर्म की सज़ा न बनो॥
मिले भी कुछ तो है बेहतर तलब से इस्तग़ना<ref>सन्तोष</ref>।
बनो तो शाह बनो, ‘आरज़ू’! गदा<ref>भिक्षुक</ref> न बनो॥
शब्दार्थ
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