भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"न होगा यक बयाबां मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 +
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
<poem>
न होगा यक बयाबां मांदगी<ref>बहुत अधिक थक जाना</ref> से ज़ौक़ कम मेरा
+
न होगा यक-बयाबां मांदगी<ref>बहुत अधिक थक जाना</ref> से ज़ौक़<ref>उत्साह</ref> कम मेरा
हुबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार<ref>गतिमान तरंग पर बना बुलबुला</ref> है नक़्श-ए-क़दम<ref>पह-चिन्ह</ref> मेरा
+
हबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार<ref>गतिमान तरंग पर बना बुलबुला</ref> है नक़्श-ए-क़दम<ref>पद-चिन्ह</ref> मेरा
  
 
मुहब्बत थी चमन से लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है
 
मुहब्बत थी चमन से लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है
कि मौजे-बूए-गुल<ref>फूल की सुगंध की लहर</ref> से नाक में आता है दम मेरा
+
कि मौजे-बूए-गुल<ref>गुलाब की सुगंध की लहर</ref> से नाक में आता है दम मेरा
 
</poem>
 
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

20:01, 24 मार्च 2010 के समय का अवतरण

न होगा यक-बयाबां मांदगी<ref>बहुत अधिक थक जाना</ref> से ज़ौक़<ref>उत्साह</ref> कम मेरा
हबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार<ref>गतिमान तरंग पर बना बुलबुला</ref> है नक़्श-ए-क़दम<ref>पद-चिन्ह</ref> मेरा

मुहब्बत थी चमन से लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है
कि मौजे-बूए-गुल<ref>गुलाब की सुगंध की लहर</ref> से नाक में आता है दम मेरा

शब्दार्थ
<references/>