भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पंजाबी

2,272 bytes removed, 22:59, 4 अगस्त 2016
'''सिख गुरु'''* [[जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां, गुरु नानकदेव]]के वड्डे हो के डाके डालदा, जगया, * [[गुरु अंगद देव]]* [[गुरु अमर दास]]जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां, * [[गुरु राम दास]]* [[गुरु अर्जन दास]]के वड्डे हो के डाके डालदा, जगया, * [[गुरु तेग बहादुर]]* [[गुरु गोबिन्द सिंह]]के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,'''अन्य रचनाकार'''* [[बाबा शेख़ फ़रीद]]-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां, * [[बुल्ले शाह]]* [[वारिस शाह]]के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया, * [[लाला धनी राम चतरिक]]* [[शिव कुमार बटालवी]]के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,* [[सुरजीत पातर]]* [[अमृता प्रीतम]]जग्गे मारया लैलपुर डाका,  के तारां खड़क गईयाँ  -जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,  मैं इक थाईं दो जणदी, जगया! के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया  -जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,  ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना,  के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना, -जग्गा मारया बोड दी छां ते,  के नौ मण रेत भिज गयी, सुरना ! के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा, -चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,  के दीवे वाली लाट बुझ गयी, चानना! वे तेरे बिना मान कित्थे नहिंयों जानना? - वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,  वे टूटे तेरा मान हाकमा, ढोल वे!  के गंगाजल विच क्यों दित्तइ जहर घोल वे, -सानू शगणा दा कर दे लीरा,  के छड़ेयां दा पुन्न तोड़ दे, हाल नी!  के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,  -बारी खोल के यारी दी लाज रख लै, मित्तरो! तेरे चन दी, नारे नी  देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,  -लम्ब होकयां दे बल पये औंदे,  के खदरान नू अग्ग लग गई, हाय नी! के भौर उड़ गये ते फुल कुम्ल्हाने नी. -जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां,  के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया,  जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,--* [[पाश]]