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[जग्गा जमया  ते मिलन वधाईयां
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aroma 11:52, 13 फरवरी 2010 (UTC)
 
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<poem>जग्गा जमया  ते मिलन वधाईयां,  
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के सारे पिंड गुड वण्डदी,
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जगया के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,
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-जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा, 
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मैं इक थीं दो जणदी,  जगया!
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के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया
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-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
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ते भैण दा सुहाग चुमके, मखाना,
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मखाना, के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,
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जग्गा मारया बोड दी छां ते,
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के नौ मण रेत भिज गयी, सुरना !
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सुरना के माँ दा मार दित्ता इ  पुत्त सूरमा,
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-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,
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के दीवे वाली लाट बुझ गयी चानना!
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चानना वे तेरे बिना मान कित्थे?
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नहिंयों जानना.
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- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,
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वे तूं गुक्ख पुत्तरां दा वेखें,
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वे टूटे तेरा मान हाकमा,ढोल वे!
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ढोल वे, गंगाजल विच क्यों दित्ता इ जहर घोल वे,
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-सानू शगणा दा कर दे लीरा,
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के छड़ेयां दा पुन्न टोड दे, हाल नी!
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हाल नी, के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,
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-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,
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के बारी खोल के यारी दी लाज रख लै, मित्तरो!
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  तेरे चन दी,  नारे नी
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नारे नी, देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,
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-लम्ब होकयां दे बल पये  औंदे ,
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के खदरान नू अग्ग लग गई,  हाय नी!
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हाय नी, के भौर उड़ गये ते फुल  कुम्ल्हाने नी.
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17:22, 13 फ़रवरी 2010 का अवतरण

aroma 11:52, 13 फरवरी 2010 (UTC)