भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परिछन करय हरषि चलू सजनी गे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:21, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परिछन करय हरषि चलू सजनी गे
दुलहा अवध किशोर सजनी गे
जिनकर रूप मन हरलक सजनी गे
जग भरि भेल अति शोर सजनी गे
देखैत फूल सन सुन्दर सजनी गे
तोड़लनि धनुष कठोर सजनी गे
जे विधि सिया निरमाओल सजनी गे
विधना लगाओल जोर सजनी गे
दुलहा परीछि मंडप चलू सजनी गे
देखि देखि चयन विभोर सजनी गे
परिछन चलू हरषि कय सजनी गे
अरीछि परीछि अवध किशोर सजनी गे