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"पल्लू की कोर दाब दाँत के तले / उमाकांत मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
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कनखी ने किये बहुत वायदे भले ।
  
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कंगना की खनक
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पड़ी हाथ हथकड़ी ।
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सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,
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हर आहट पहरु बन गीत मन छले ।
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नाजों में पले छैल सलोने पिया,
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यूँ न हो अधीर,
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तनिक धीर धर पिया ।
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बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,
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आऊँगी मिलने मैं पिय दिया जले ।
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20:25, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
कनखी ने किये बहुत वायदे भले ।

कंगना की खनक
पड़ी हाथ हथकड़ी ।
पाँवों में रिमझिम की बेडियाँ पड़ी ।
सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,
हर आहट पहरु बन गीत मन छले ।

नाजों में पले छैल सलोने पिया,
यूँ न हो अधीर,
तनिक धीर धर पिया ।
बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,
आऊँगी मिलने मैं पिय दिया जले ।