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पिछले वसंत के फूल / अज्ञेय

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झरते-झरते
पिछले वसन्त के फूल
डालियों पर उमगाते गये
फलों के नाना-विध आश्वासन :
कहाँ, कहाँ, पर चली गयीं
पिछले जाड़ों की हिम-पंखड़ियाँ?