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पिता-2 / नरेश चंद्रकर

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जादू उतरता है उनके स्नेह में

सहलाते हैं पीठ जब उनके हाथ
बहुत सारा दुख उड़ जाता है

कबूतर बनकर अनन्त में

बहुत दिनों तक
फिर वह अपने पास नहीं आता!!