भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिता (गीत) / गरिमा सक्सेना

8 bytes added, 16:44, 24 अप्रैल 2020
स्वर्णिम अक्षर गढ़ते आये
मेरा तो ब्रह्माण्ड पिता हैं
अंश उन्हीं का, मैं उनकी नन्ही सविता हूँ
मुझको जीवन दिया उन्होंने
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,522
edits