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पुकारते तुमको भक्त सारे / रंजना वर्मा

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पुकारते तुम को भक्त सारे।
दरश दिखाओ हे श्याम प्यारे॥

कभी नहीं हाथ छोड़ देना
कसम तुम्हें नन्द के दुलारे॥

बहाव भीषण जगत सरी का
न दूर तक दीखते किनारे॥

फँसी भँवर में है मेरी नैया
तुम्हारे बिन कौन अब उबारे॥

निराश्रितों को सँभालते तुम
पड़े इसी से तुम्हारे द्वारे॥