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"पेड़ / यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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कोशिश है कविता । | कोशिश है कविता । | ||
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11:35, 1 जनवरी 2009 का अवतरण
हम देखते हैं फूल ।
लिखता है पेड़ भी कुछ धूप में
शब्द रिसते हैं रंगों में ।
एक टहनी का कंठ फूटता है
चिड़िया ।
भुरभुरी मिट्टी, गीली मिट्टी
अचानक सुनती है कुछ
हम सुन नहीं पाते
अचरज से देखते उसे कुछ
सुनते हुए ।
(हज़ारों सालों की स्मृति)
कोशिश करते हम भी ।
कोशिश है कविता ।